mirgee ke kaaran, lakshan, prakaar, upachaar

  


मिर्गी की बीमारी क्या है?

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मिर्गी, को अंग्रेजी भाषा में Epilepsy कहा जाता है, आज इस लेख मै हम एक mirgee ke kaaran, lakshan, prakaar, upachaar पर विस्तार रूप जानकारी पढेगे।न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों में असंतुलन के कारण होती है। इसका सबसे मुख्य प्रभाव व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता पर पड़ता  है। सामान्य रूप से मिर्गी के मरीजों में दौरे (Seizures) के बार बार आने की और उसकी  तीव्रता अलग होती है। लेकिन यह समझना बहुत आवश्यक है कि मिर्गी केवल दौरे का ही नाम नहीं है, बल्कि यह एक जटिल और गंभीर बीमारी है जिसके बहुत से पहलू होते हैं।

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मिर्गी की बीमारी कितने प्रकार कि होती है?

 इस लेख आप mirgee ke kaaran, lakshan, prakaar, upachaar के इस भाग मै अब हम मिर्गी के  प्रकार की बात करेगे।वैसे मिर्गी के दौरे के अनेक प्रकार के होते हैं, परंतु इनको मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा गया है:आज हम मिर्गी के दोनों प्रकारों, यानी जनरलाइज्ड एपिलेप्सी और फोकल एपिलेप्सी, पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

मिर्गी के प्रकार

1. जनरलाइज्ड एपिलेप्सी


जनरलाइज्ड एपिलेप्सी उन दौरों को कहा जाता है, जिसमें मस्तिष्क के दोनों आधे हिस्से प्रभावित होते हैं। इसे विभिन्न प्रकार के दौरे में बाँटा जा सकता है:

एब्सेंस दौरा

यहां, व्यक्ति कि अचानक से ही एक बहुत छोटे समय के लिए चेतना खो जाती है। यह दौरा अधिकांश  तौर पर बच्चे में देखने को मिलता है। एब्सेंस दौरे के दौरान, व्यक्ति आमतौर पर 10 से 20 सेकंड के लिए अपने आस-पास की चीजों पर ध्यान नहीं रखा पाता  और अचानक फिर से वापस सामान्य स्थिति में आ जाता है। इस दौरे को पहचानना भी  मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह किसी अन्य प्रकार गतिविधि से जुड़ा हुआ नहीं लगता है।

टोनीक क्लोनिक दौरा (ग्रैंड माल)

वैसे यह सबसे जाना-पहचाना प्रकार के दौरे में से एक होता है। इसे पहले टोनीक और फिर क्लोनिक चरणों में बाँटा जा सकता है। टोनीक श्रेणी में, मांसपेशियाँ कठोर हो जाता है, और इसलिए  ही व्यक्ति गिर सकता है। इसके बाद क्लोनिक श्रेणी में, शरीर में झटके आने शुरू जाते हैं। ये दौरे कई मिनट तक लगातार चल सकता हैं और इसके बाद व्यक्ति को बहुत थकावट महसूस होती है और जिससे उसे नींद आ  सकती है।

मायोक्लोनिक दौरा

यह दौरे पडने ने का ऐसा  प्रकार है जिसमे  अचानक और तात्कालिक मांसपेशियों की उत्तेजना होती है, जिसकी वजह से  व्यक्ति के हाथ या पैर झटके पडने लेते हैं।और यह दौरा किसी भी समय हो सकता है, लेकिन आमतौर पर सोते समय नही होता है।

टोनीक दौरा

इस दौरे में मांसपेशियां अचानक से ही कठोर होने लगती  हैं, जिसके कारण व्यक्ति गिर सकता है। ये दौरे अधिकांश तौर पर रात में या नींद में होने पर ही आते हैं।


2. फोकल एपिलेप्सी


फोकल एपिलेप्सी, इसका नाम पहले लोकेलाइज्ड एपिलेप्सी था और यह इसी नाम से जाना जाता था,यह स्थिति तब  होती है जब दौरे केवल मस्तिष्क के एक हिस्से को प्रभावित करते हैं। इन दौरो को भी कई प्रकारों में बाँटे जा सकता हैं:

फोकल दौरे बिना चेतना हानि

इस प्रकार के दौरे में व्यक्ति की चेतना तो बनी रहती है, परंतु और वह अपने शरीर के किसी हिस्से में या किसी विशेष अनुभव में परिवर्तन महसूस कर सकता है। जैसे कि हाथ में झुनझुनी, या एक विशेष दृश्य  को देखने की अनुभूति।

फोकल दौरे चेतना हानि के साथ


इस प्रकार के दौरे के समय व्यक्ति की चेतना चली जाती है। इस दौरान व्यक्ति किसी भी तरह का उत्तर नहीं दे पाता और आमतौर पर कुछ ही मिनटों में फिर वापस से सामान्य स्थिति में आता है।

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मिर्गी के सामान्य लक्षण

मिर्गी के कारण, लक्षण, प्रकार, उपचार मै अब हम लक्षण जानेगे।
मिर्गी के लक्षण हर  व्यक्ति मै दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण होते है  जिन्हें प्रायःकई लोग अनुभव करते हैं, उनमें शामिल हैं:

1. झटके और संकुचन (Seizures and Convulsions)

मिर्गी के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक होता हैं झटके लगना। ये अचानक होते हैं और इसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों में संकुचन हो सकता है। व्यक्ति झटकों के दौरान असामान्य तरह से हिल सकता है, या उसकी मांसपेशियों में काफी कसावट आ सकती है। यह दौरे का समय कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चल सकता है।

2. गंभीर थकान (Severe Fatigue)

झटके के बाद अधिकांश मिर्गी के रोगियों को बहुत अधिक थकान महसूस होती है। जिसकी वजह से वे अक्सर नींद में चले जाते हैं और पुनः चेतना आने में उन्हें समय लगता है।

3. मन की स्थिति में बदलाव (Changes in Awareness)

कुछ लोग जब झटके का सामना करते हैं, तो उनकी चेतना में बदलाव हो सकता है।और वे स्वंय से भी अनजान हो सकते हैं और बिना प्रतिक्रिया के एक ही स्थान पर खड़े रह सकते हैं।

4. दृष्टि में परिवर्तन (Visual Disturbances)

कुछ व्यक्तियों में मिर्गी के दौरान देखने की क्षमता में धुंधलापन या फ्लैश का अनुभव भी हो सकता है। यह अनुभव अक्सर झटके शुरू होने से पहले होते है।

5. तेज आवाज़ें या सुनने में बदलाव (Auditory Disturbances)

कुछ मिर्गी के रोगी यदि अचानक तेज आवाज़ें सुनते है तो वे आवाज सुनने या सुनने में बदलाव का अनुभव महसूस कर सकते हैं। यह भी एक आम लक्षण है।

6. संवेदी अनुभव (Sensory Experiences)

कई मामलों में व्यक्ति को अजीब सी  संवेदनाएँ महसूस होने लगती है, जैसे कि त्वचा पर खुजली महसूस करना,तापमान मे परिवर्तन, या सुन्नता का अनुभव भी हो सकता है।

7. चिंता और अवसाद (Anxiety and Depression)

मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर मानसिक रूप  स्वास्थ्य की परेशानियो  का सामना कर सकते हैं, जैसे कि चिंता या अवसाद। ये स्थिति उनके जीवन की गुणवत्ता पर गलत प्रभाव डाल सकते है।

मिर्गी के आक्रमण का आंतरिक संकेत


कई लोगों को मिर्गी के आक्रमण से पहले कुछ संकेत मिलने लगते हैं, जिन्हें 'ऑरा' कहा जाता है। ये संकेत व्यक्ति के अनुभव पर निर्भर करते हैं और इसमें निम्नलिखित हो सकते हैं:

असामान्य अवसाद या खुशी का अनुभव

चक्कर आना

पेट में असहजता या दर्द महसूस करना

तापमान में अचानक बदलाव महसूस

मिर्गी के सबसे अच्छे उपचार 

 ऐलोपैथिक इलाज :

अमेरिका, यूरोप और भारत में प्रचलित ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्घति मिर्गी के इलाज करने की  एक प्रमुख विधि है। इसमें मुख्यत: एंटी-एपिलेप्टिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। इनमे कुछ प्रमुख दवाएं निम्नलिखित हैं:

वालप्रोइक एसिड: यह दवा मिर्गी के विभिन्न प्रकार के दौरे को नियंत्रित करने के लिए असरदार होती है।


कार्बामाज़ेपिन: यह दवा मुख्यतः टोनिक-क्लोनिक दौरे के लिए प्रयोग की जाती है।


लैमिक्टल: यह दवा मिर्गी के दौरे की आवृत्ति को कम करने में मदद करती है।


डॉक्टर के निर्देशों के अनुसार सही डोज और दवा का चयन किया जाना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की चिकित्सा आवश्यकताएं अलग- अलग होती हैं।


आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार, मिर्गी को शरीर के तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) का संतुलन बिगड़ जाने को माना जाता है। आयुर्वेद में मिर्गी का इलाज करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:


01: विभिन्न जड़ी-बूटियों जैसे ब्राह्मी, अश्वगंधा, शंकपुरी, और वच को मिलाकर बनी औषधियों का सेवन किया जाता है। यह जड़ी-बूटियां मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं।


पंचकर्म: यह एक शुद्धिकरण की प्रक्रिया है जिसमें शरीर को विषाक्त पदार्थों को बाहर किया जाता है। यह मिर्गी के लक्षणों को कम करने में बहुत मदद कर सकता है।


योग और प्राणायाम: नियमित योगाभ्यास और प्राणायाम करने से मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे मिर्गी के दौरे आना  कम हो सकते है।


घरेलू उपाय

घर पर मिर्गी के प्रबंधन के लिए कुछ सरल और आसान उपाय किए जा सकते हैं:


आहार में संतुलन: हरी सब्जियों, फल, साबुत अनाज और नट्स का सेवन करें। मिर्गी के रोगियों को शक्कर और कैफीन का सेवन कम-कम करना चाहिए अथवा नही करना चाहिए।


हाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। शरीर में पानी की कमी भी मिर्गी के दौरे का कारण बन सकती है।


ध्यान और मेडिटेशन: नियमित ध्यान और मेडिटेशन से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे मिर्गी के दौरे पडने में कमी आ सकती है।


नींद के पैटर्न: उचित नींद के पैटर्न का पालन करें। नींद की कमी से मिर्गी के दौरे बढ़ सकते है।


निष्कर्ष

मिर्गी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसके कई प्रकार के इलाज उपलब्ध हैं, जैसे कि ऐलोपैथिक, आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय। किसी भी प्रकार के इलाज की शुरुआत करने से पहले, पेशेवर चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा विधियों को सम्मलित करने से मिर्गी की स्थिति में सुधार किया सकता है।हमेशा याद रखें, कि एक संतुलित जीवनशैली और नियमित चिकित्सा जांच से मिर्गी को काबू किया जा सकता है और एक स्वस्थ और सुखी जीवन जीने का आनंद उठाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है और किसी भी चिकित्सा स्थिति का निदान या उपचार नहीं करता। कृपया अपने स्वास्थ्य संबंधी सवालों के लिए चिकित्सकीय सलाह लें।

संभावित प्रश्न और उत्तर

01Q:-मिर्गी क्या है?

• Ans:-मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों में असामान्यता होती है, जिससे अचानक दौरे पड़ते हैं।

02Q:-जनरलाइज्ड एपिलेप्सी के प्रकार कौन से हैं?

• Ans-इसमें एब्सेंस दौरा, टोनीक क्लोनिक दौरा, मायोक्लोनिक दौरा, और टोनीक दौरा शामिल हैं।

03Q:-फोकल एपिलेप्सी क्या होती है?

• Ans:-यह तब होती है जब दौरे मस्तिष्क के एक हिस्से को प्रभावित करते हैं, और इसमें चेतना हानि या बिना चेतना हानि के दौरे हो सकते हैं।

04Q:-एब्सेंस दौरा किस उम्र में आमतौर पर होता है?

• Ans:-यह दौरा अक्सर बच्चों में देखने को मिलता है।

05Q:-टोनीक क्लोनिक दौरे में क्या होता है?

• Ans:-इसमें मांसपेशियों में कठोरता (टोनीक चरण) और फिर झटके (क्लोनिक चरण) आते हैं।

06:-मिर्गी के सामान्य लक्षण क्या हैं?

• Ans:-अचानक गिरना, मांसपेशियों में संकुचन, और चेतना का खो जाना।

• 07Q:-मिर्गी का उपचार कैसे किया जाता है?

• Ans:-मुख्य उपचार दवाओं, सर्जरी, और डाइटरी थेरपीज़ के जरिए किया जाता है।

08Q:'क्या मिर्गी का जीवनशैली पर प्रभाव पड़ता है?

• Ans-हाँ, तनाव, नींद, और नियमित व्यायाम मिर्गी को प्रभावित कर सकते हैं।

09Q:-क्या मिर्गी के मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं?

• Ans:-हाँ, उचित उपचार और जीवनशैली में बदलाव से मरीज सामान्य और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।

• 10Q:-मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने के लिए क्या करना चाहिए?

• Ans-नियमित चिकित्सकीय जांच, दवाएं, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है।

स्वस्थ रहे खुश  रहे





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